- Mahakal Temple: अवैध वसूली के मामले में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, एक आरोपी निकला HIV पीड़ित; सालों से मंदिर में कर रहा था काम ...
- महाकाल मंदिर में बड़ा बदलाव! भस्म आरती में शामिल होना अब हुआ आसान, एक दिन पहले मिलेगा भस्म आरती का फॉर्म ...
- भस्म आरती: मंदिर के पट खोलते ही गूंज उठी 'जय श्री महाकाल' की गूंज, बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर भस्म अर्पित की गई!
- भस्म आरती: मकर संक्रांति पर बाबा महाकाल का किया गया दिव्य श्रृंगार, तिल्ली के लड्डू से सजा महाकाल का भोग !
- मुख्यमंत्री मोहन यादव का उज्जैन दौरा,कपिला गौ-शाला में गौ-माता मंदिर सेवा स्थल का किया भूमि-पूजन; केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल भी थे मौजूद
71/84 श्री प्रयागेश्वर महादेव
71/84 श्री प्रयागेश्वर महादेव
काफी समय पहले एक राजा थे शांतनु। धर्मात्मा ओर वेदों को जानने वाले राजा एक दिन सेना के साथ शिकार करने लिए वन में गए। वहा एक स्त्री को देखा। राजा ने उससे परिचय पूछा तो स्त्री ने कहा कि राजन आप मेरा परिचय न पूछें, आप जो चाहते है उसके लिए वह तैयार है। इसके लिए उसने एक शर्त रखी की वह रानी बनने के बाद जो भी करें राजा कभी उससे उस बारे में कुछ नही पुछेगा। राजा ने स्वीकृति दी ओर स्त्री से विवाह के कर लिया। विवाह के बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया और तुरंत नदी में प्रवाहित कर दिया। वचन के कारण राजा रानी से प्रश्न न पूछ सका। आठवें पुत्र को रानी नदी में प्रावाहित करने जा रही थी, तभी राजा ने रानी को रोका और कहा कि तुम इस पुत्र को नदी में प्रवाहित मत करों। रानी ने कहा कि आपको पुत्र चाहिए मै आपको पुत्र सौपती हूं और वचन को तोडने के कारण मै आपका त्याग करती हूं। मै जन्हू की कन्या गंगा हूं और देवताओं के कार्य सिद्ध करने के लिए मैने आपसे विवाह किया था। यह आठ वसु है जो वश्ष्ठि ऋषि के श्राप के कारण मनुष्य योनि में आए थे। गंगा वहां से आगे जाकर पुत्र हत्या के पाप के कारण रूदन करने लगी। गंगा के रूदन को सुनकर नारद मुनि आए और रूदन का कारण पूछा। गंगा ने कहा महर्षि मैने पुत्रो की हत्या की है। मुझे इस पापकर्म से मुक्ति कैसे मिलेगी। नारद मुनि ने कहा गंगा तुम अवंतिका नगरी में जाओं जहां तुम्हारी सखी क्षिप्रा रहती है ।
वहां दुर्धेश्वर महादेव के दक्षिण में स्थित महादेव का पूजन करों, जिससे तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगें। गंगा अवंतिका नगरी आई ओर सखी क्षिप्रा के साथ मिलकर भगवान शिव का पूजन किया। फिर वहां सूर्य की पुत्री यमुना ओर फिर सरस्वती भी आ मिली। इस बीच इंद्र ने नारद मुनि से पूछा कि मुनिवर प्रयाग नजर नही आ रहा तो नारद ने कहा कि वह महाकाल वन में गया होगा, जहां चार नदियों का मिलन हो रहा है। प्रयाग के बाद इन चार नदियों के मिलन के कारण शिवलिंग प्रयागेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुए। मान्यता है कि जो भी मनुष्य प्रयागेश्वर महोदव के दर्शन कर पूजन करता है उसके सभी पापों का नाश होता है ओर मोक्ष को प्राप्त करता है।